हमारे देश में आये दिन किसान किसी न किसी समस्या से गुज़रता रहता है जैसे के सूखे के कारण फसलें बर्बाद हो जाती है या बहुत ज़्यादा बारिश होने की वजह से बाढ़ जैसे हालात बन जाते है ऐसे ही कुछ कारणों की वजह से किसान परेशान रहता है, जो किसान अपनी कड़ी मेहनत और लगन से अनाज उगाता है उस की समस्या को कम करने या ऐसा कह सकते है के उस किसान को अपना सही हक़ दिलाने के लिए भारत सरकार ने एक नियम बनाया है जिस का नाम MSP है आज हम इसी के बारे में जानने वाले है की MSP क्या है, MSP का Full Form क्या है और MSP का हिंदी Meaning क्या होता है.
MSP Full Form + MSP Meaning in Hindi
MSP का full form होता है Minimum Support Price
MSP का hindi meaning है न्यूनतम समर्थन मूल्य. जिसे हम कह सकते है की किसी फसल को एक फिक्स दाम पर खरीदना आगे हम इसे और अच्छी तरह समझेंगे
Minimum Support Price (MSP) kya hai
MSP का Full Form और इस का हिंदी में Meaning जानने के बाद अब हम जानेंगे की Minimum Support Price क्या है. MSP एक न्यूनतम मूल्य गारंटी है जो किसानों के लिए विशेष फसल बेचने पर सुरक्षा जाल या बीमा के रूप में काम करता है ये फसलें सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों को एक वादा की गई कीमत पर खरीदी जाती हैं और MSP को किसी भी स्थिति में नहीं बदला जा सकता है अगर किसी खराब स्थिति के चलते फसलों की कीमत गिर जाती है तब भी किसान MSP की वजह से उस फसल को पहले से तय की हुई कीमत में बेच सकते है जिस की वजह से किसान को नुक्सान नहीं होता है गेहूं और चावल उन टॉप फसलों में से हैं जो सरकार द्वारा देश के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाती हैं Minimum Support Price के तहत कुल 22-23 फसलों को ख़रीदा जाता है.
भारतीय कृषि विभाग में प्रग्रति होने में MSP का बहुत ही अहम रोल माना जाता है पिछले कुछ वर्षों में MSP ने भारत में किसानों को माली उतार-चढ़ाव के प्रभावों को दूर करने में मदद की है किसानों के विरोध करने और हमारी राष्ट्रीय राजधानी में पहुँचने के बाद MSP एक बड़ा चर्चा का विषय बन गया है.
Minimum Support Price की शरुआत कब हुई
MSP की शरुआत द्रुतिया विश्व युद्ध ( World War 2 ) के दौरान अंग्रेजो द्वारा हुई थी साल 1942 में ब्रिटिश प्रशासन द्वारा एक food department शुरू किया गया था जिसे बाद में food ministry में अपग्रेड कर दिया गया और फिर food ministry को बाद में अनाज और कृषि विभागों में बदल दिया गया.
1960 के दशक में भारत को भोजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा और उसने अपने अनाज भंडार को कम करना शुरू कर दिया साथ ही भारत ने हरित क्रांति कार्यक्रम को भी अपनाया
साल 1964 में भारतीय खाद्य निगम (FCI) की स्थापना किसानों से लाभकारी मूल्य पर अनाज प्राप्त करने के लिए की गई थी. 1965 में खरीदे गए अनाज के मूल्य निर्धारण को विनियमित करने के लिए कृषि मूल्य आयोग (APC) की स्थापना की गई थी 1985 में APC का नाम बदलकर कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) कर दिया गया
खरीदे गए अनाज को तब सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में भेज दिया गया था जो हर एक भारतीय नागरिक के लिए अनाज सुरक्षा सुनिश्चित करता था जो कि राशन की स्वतंत्रता-पूर्व प्रणाली थी.
न्यूनतम समर्थन मूल्य की क्या सीमाएं है - Limitations Of MSP
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) की 2012-13 की रिपोर्ट के मुताबिक 10 प्रतिशत से भी कम किसान सरकार द्वारा तय की गई MSP पर अपना माल बेचते हैं. इस साल सितंबर में बेची गई 10 फसलों के हिसाब से पता चलता है कि 68 फीसदी मामलों में फसलों को MSP से नीचे बेचा गया.
MSP के साथ प्रमुख समस्या गेहूं और चावल को छोड़कर सभी फसलों की खरीद के लिए सरकारी मशीनरी की कमी है जो भारतीय खाद्य निगम PDS के तहत सही तौर से खरीदता है. राज्य सरकारें आखरी मील अनाज की खरीद करती हैं ऐसे राज्यों के किसानो ज़्यादा फ़ायदा होता है जहां सरकार द्वारा पूरी तरह से अनाज की खरीद की जाती है जबकि कम खरीद वाले राज्यों के किसान अक्सर परेशान होते हैं।
उदाहरण के लिए मान लिजिये पंजाब में 95 प्रतिशत से अधिक धान के किसानो को MSP से फायदा होता है जबकि उत्तर प्रदेश में सिर्फ 3.6 प्रतिशत किसानों को फायदा होता है. MSP आधारित खरीद प्रणाली MSP अधिकारियों , कमीशन एजेंटों और बिचौलियों पर भी निर्भर है जो छोटे किसानों को हासिल करने में मुश्किल होती है
न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण - Determination Of MSP
कई विभाग और मंत्रालय मिल कर CACP को MSP तय करने में मदद करते है उत्पादन या खेती में होने वाला खरच MSP के सिफारिश में अहम रोल निभाता है इसी तरह की कई ज़रूरी जानकारियां CASP को दी जाती है मिनिमम सपोर्ट प्राइस का निर्धारण निचे दिए गए कारकों पर डिपेंड करता है.
बनाने की किमत
इनपुट कीमतों में बदलाव
इनपुट-आउटपुट मूल्य समता
बाजार कीमतों में रुझान
मांग और आपूर्ति
अंतर-फसल मूल्य समता
उद्योग लागत संरचना पर प्रभाव
रहने की लागत पर प्रभाव
सामान्य मूल्य स्तर पर प्रभाव
अंतर्राष्ट्रीय मूल्य स्थिति
किसानो के ज़रिये भरपाई की गई कीमतों और प्राप्त कीमतों के बीच समानता
निर्गम मूल्य पर प्रभाव और सब्सिडी पर प्रभाव
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर 22 लाज़मी कृषि फसलों के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है. राज्य सरकारों , केंद्रीय विभागों और और दूसरे कई मुद्दों पर विचार करने के बाद एमएसपी पूरे देश के लिए लागू किया जाता है न कि किसी क्षेत्र या राज्य के लिए.
किन फसलों का तय होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
रबी और खरीफ जैसी कुछ फसलों के लिए MSP तय किया जाता है MSP हर साल सीजन की फसलों के आने से पहले तय किया जाता है. 23 फसलों के लिए भारत सरकार Minimum Support Price तय करती है जिन में अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसलों को शामिल किया गया है जूट, कपास, गन्ना, सूरजमूखी, सोयाबीन, सरसों, मसूर, उड़द, मूंग, तुअर, चना, बाजरा, जौ, मक्का, गेहूं, धान आदि की फसलों के दाम सरकार तय करती है.
7. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के फायदे - Advantages Of MSP
मिनिमम सपोर्ट प्राइस की मदद से सरकार किसी भी फसल में होने वाले तेज़ गिरावट को रोक सकती है ये एक निश्चित कीमत बनाए रखने में मदद करती है जो फसल में आने वाली गिरावट को उस निश्चित कीमत के नीचे नहीं जाने देती साथ ही ये बढ़ती हुई कीमतों के साथ महंगाई को भी काबू करने के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है.
कम से कम कीमतों की गारंटी
मिनिमम सपोर्ट प्राइस किसानो के लिए जमानत के तौर पर काम करती है इस की वजह से किसानों को अपनी फसल के लिए पहले से ही तय की हुई रकम मिलती है जिस की वजह से उनका होने वाला नुकसान कम हो जाता है MSP के द्वारा किसानों को अपने क़र्ज़ का भुगदान करने में मदद मिलती है.
सप्लाई में कमी वाली फसलों पर नियंत्रण
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सरकार को कम उत्पादन वाली फसलों की वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद करता है सरकार इन फसलों के लिए ज़्यादा रकम देने की पेशकश कर सकती है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा किसान इन फसलों को इस आश्वासन के साथ उगाने के लिए प्रेरित हों कि वे गारंटी के साथ सरकार से एक निश्चित रकम की वसूली करेंगे.
उचित कीमत पर अनाज बेचना
सरकार इन फसलों का उपयोग सरकारी उचित कीमत की दुकानों पर बाजार दर से कम कीमत पर बेचने के लिए कर सकती है इससे सरकार को इन फसलों को गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को कम कीमत पर उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी इससे सरकार को कुछ राशि की वसूली करने और सरकार के नुकसान को कम करने में भी मदद मिलेगी.
अगले बुवाई में कमाई की उम्मीद
न्यूनतम समर्थन मूल्य आय को ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँचाने का और कृषि स्तर की मुद्रास्फीति का मुकाबला करने में फायदेमंद रहा है, साथ ही यह देश में कुदरती खतरों से पैदा होने वाले कृषि संकट का भी मुकाबला कर सकता है। इससे किसानों को नए बुवाई के मौसम में अधिक कमाई की उम्मीद होती है.
Minimum Support Price तय करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर बाजार में फसल का दाम गिरता है तब भी यह तसल्ली रहती है कि सरकार को वह फसल बेचने पर एक पहले से ही तय की हुई कीमत तो जरूर मिलेगी जिस से किसानों का ज्यादा नुक्सान नहीं होगा.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के नुकसान - Disadvantages Of MSP
छोटे और मध्यम स्तर के किसानों पर इस का प्रभाव होना
जांच करने पर सामने आया है के ज़्यादा तर सूखे की समस्या से जूझने वाले छोटे और मध्यम स्तर के किसान है ये किसान बैंक्स से क़र्ज़ नहीं लेते है वे निजी साहूकारों से क़र्ज़ लेना पसंद करते हैं जो MSP जैसी योजनाओं के अंतर्गत नहीं आते हैं जब की बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाले किसान अक्सर इन योजनाओं की मदद से अपने कर्ज से मुक्ति पाते हैं.
प्रतियोगिता का खात्मा
सर्कार की थोड़ी सी भी दखल अंदाजी प्रतियोगिता को खत्म कर देती है यह उन एजेंटों को प्रभावित करता है जो कम कीमतों पर फसलों की खरीद करते हैं और उन्हें उच्च कीमतों पर बेचते हैं और मुनाफा कमाते हैं यह मुख्य रूप से उन लोगों के काम में बाधा डालता है जो किसानों से इन उत्पादों को खुले बाजार में बेचते हैं.
सिर्फ दो फसलों की नियमित रूप से खरीदी
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत वादों को पूरा करने के लिए ज्यादातर सरकारी एजेंसियों द्वारा नियमित रूप से केवल धान और गेहूं की खरीद की जाती है, अन्य सभी के लिए खरीद अनियमित है इसलिए किसान को अन्य फसलों का उत्पादन करने के लिए कोई प्रोत्साहन या बैंक योग्यता नहीं है.
राज्यों के पास बजट की कमी
जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी घोषित किया गया है, ज़्यादा तर राज्यों के पास केंद्र द्वारा घोषित कीमतों पर फसलों की खरीद के लिए धन नहीं है. उदाहरण: असम में बजट की कमी के कारण पिछले दो सत्रों से खरीद नहीं की गई थी.
नए कृषि कानून - New Agricultural Laws
पहला कानून :- इस कानून के तहत केंद्र सरकार ने किसानों को पूरी छूट दी है के वो अपनी फसल किसी भी कंपनी या बड़े व्यापारी के साथ अपने मर्ज़ी से बच सकते है इस की वजह से किसान बड़े व्यापारिओं से जुड़ सकते है.
दूसरा कानून :- इस बिल के तहत सरकार ने कुछ ज़रूरी वास्तोवो को लिस्ट से हटाने की बात की है सरकार का मानना है की कुछ चीज़ों को लिस्ट से हटाने के कारण किसानों को उनके दुसरे माल की सही कीमत मिल सकेगी.
तीसरा कानून :- सरकार ने इस बिल में पूरी छूट दी है के कोई भी किसान अपनी फसल पुरे देश भर में कही पर भी जा कर बेच सकता है किसानों को इस बिल के तहत पूरी छूट है चाहे वो अपनी फसल अपने राज्य में बेचे या किसी और राज्य में जाकर बेचे ये पूरी तरह उन पर है के वो कहा अपनी फसल बेचने कहते है.
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हम ने जाना
दोस्तों आज हम ने जाना कि MSP क्या है, MSP का फुल फॉर्म क्या है, MSP का हिंदी मीनिंग क्या होता है आदि साथ ही आज हम ने मस्प के कई दूसरे पॉइंट्स की भी जानकारी ली किसानो के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस काफी फायदेमंद योजना है सरकार द्वारा बनाई इस योजना की वजह से काफी किसान फायदा उठा रहे है लेकिन कुछ किसान इस से वंचित भी है धीरे धीरे लोग इन योजनाओं के बारे में जानने लगे है अगर आप को इस आर्टिकल से रिलेटेड कुछ सवाल पूछने हो तो आप इस आर्टिकल के नीचे कमेंट्स में पूछ सकते है हम उस सवाल का जवाब ज़रूर देंगे और इसी तरह की पोस्ट्स इस ब्लॉग पर अपलोड करते रहते है उम्मीद है आप को ये पोस्ट (MSP kya hai) पसंद आई होगी
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